Wednesday, July 14, 2021

चुनौती

महाभुजंगप्रयात सवैया

122 122 122 122, 122 122 122 122

अँधेरा घना देख पीछे न जाना,मिटोगे सदा ही न ऊँचे उठोगे।
कभी जीत पाना न होगा तुम्ही से,बिना आस के काम कोई करोगे।
मिटाना सभी आज बाधा खड़ी है,डरे देख के जो चुनौती मिटोगे।
वही आज आगे खड़ा जो हठीला,यही बात मानों तभी तो बढ़ोगे।

हमेशा अपेक्षा किसी से रखो क्यों,दिया जो सदा ही वही लौट आता।
भलाई करो तो भलाई मिलेगी,बुराई करे जो सदा दु:ख पाता।
उपेक्षा अकेले सभी लोग भोगें,यही काल की चाल टेढ़ी दिखाता।
उजाले मिलेंगे करो काम अच्छे,विषैला धुआँ भी तभी दूर जाता।

©® अनुराधा चौहान'सुधी'✍️
चित्र गूगल से साभार

3 comments:

  1. सार्थक सृजन - - साधुवाद सह।

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर और सार्थक संदेश देती और थोड़ा जोश भी भरती अच्छी रचना ।

    ReplyDelete

नहीं सत्य का कोई अनुरागी

हरी दरस का मन अनुरागी। फिरता मंदिर बन वैरागी॥ हरी नाम की माला फेरे। हर लो अवगुण प्रभु तुम मेरे॥ देख झूठ की बढ़ती माया। चाहे मन बस तेरी छाया॥...