महाभुजंगप्रयात सवैया
122 122 122 122, 122 122 122 122
अँधेरा घना देख पीछे न जाना,मिटोगे सदा ही न ऊँचे उठोगे।
कभी जीत पाना न होगा तुम्ही से,बिना आस के काम कोई करोगे।
मिटाना सभी आज बाधा खड़ी है,डरे देख के जो चुनौती मिटोगे।
वही आज आगे खड़ा जो हठीला,यही बात मानों तभी तो बढ़ोगे।
हमेशा अपेक्षा किसी से रखो क्यों,दिया जो सदा ही वही लौट आता।
भलाई करो तो भलाई मिलेगी,बुराई करे जो सदा दु:ख पाता।
उपेक्षा अकेले सभी लोग भोगें,यही काल की चाल टेढ़ी दिखाता।
उजाले मिलेंगे करो काम अच्छे,विषैला धुआँ भी तभी दूर जाता।
©® अनुराधा चौहान'सुधी'✍️
चित्र गूगल से साभार
सार्थक सृजन - - साधुवाद सह।
ReplyDeleteबहुत सुंदर और सार्थक संदेश देती और थोड़ा जोश भी भरती अच्छी रचना ।
ReplyDeleteवाह, बहुत सुन्दर।
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