Friday, July 16, 2021

सुन्दरी सवैया

 

१--सच हुए सपने

सच आज हुए सपने मन के,दुख ढूँढ रहा छुपने अब कोना।

पल सुंदर हाथ लगे अपने,पकड़ो कसके इसको मत खोना।

चुनना सच की तुम राह अभी,दुखड़े पिछड़े मत लेकर रोना।

जब बोझ बने पिछली गलती,उसको मत जीवन में फिर ढोना।

२--घनघोर घटा

चपला चमके गरजे बरसे,मनभावन सावन है मतवाला।

उमड़े बदली घनघोर घटा,तरु पीकर झूम उठे अब हाला।

मनमोहक सुंदर देख छटा।कजरी सुन नाच रही फिर बाला।

सब शोर मचाकर नाच रहे,बरसे हर ओर यही सुख शाला।

मापनी ~

112 112 112 112, 112 112 112 112 2

सुन्दरी सवैया छन्द 25 वर्णों का है। इसमें आठ सगणों और गुरु का योग होता है। इसका दूसरा नाम माधवी है। केशव ने इसे 'सुन्दरी' और दास ने 'माधवी' नाम दिया है। केशव[1], तुलसी [2], अनूप[3], दिनकर[4] ने इस छन्द का प्रयोग किया है।

*अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित*


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