१
श्याम राधा पुकारे चले आइए,देख काला अँधेरा डराता बड़ा।
भागती दौड़ती बाँसुरी जो सुनी,लाज आती मुरारी कहाँ है खड़ा।
छेड़तीं हैं सखी ढूँढती जो तुझे,माथ बेंदा गिरा खो गया वो पड़ा।
सूखती है कली भी अभी आस में,नाथ आओ बता बात क्यों तू अड़ा।
२
खोलती नैन में देखती हूँ तुम्हें,दूसरा श्याम जैसा सखा है कहाँ।
साँवरे गोपियों को करे बावरा,झूमती नाचती भाग आती यहाँ।
छेड़ दे तान मीठी लगे बाँसुरी,देख लो बैठती हैं सखी भी वहाँ।
मोहना रूप तेरा मुझे मोहता,ढूँढती हूँ वहाँ बैठता तू जहाँ।
गंगोदक सवैया
212 212 212 212, 212 212 212 212
*अनुराधा चौहान'सुधी'✍️*
चित्र गूगल से साभार
खोलती आँख में देखती हूँ तुम्हें,दूसरा श्याम जैसा सखा है कहाँ।
ReplyDeleteसाँवरे गोपियों को करे बावरा,झूमती नाचती भाग आती यहाँ।
श्याम रंग में रंगी राधा का अद्भुत चित्रण ।
हार्दिक आभार सखी
Deleteवाह, बहुत सुंदर मधुर गेय रचना,हार्दिक शुभकामनाएँ अनुराधा जी।
ReplyDeleteहार्दिक आभार जिज्ञासा जी।
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