Thursday, July 22, 2021

विदुषी सवैया

विदुषी सवैया 
वर्णिक सवैया
22 वर्ण प्रति पंक्ति 
10, 12 की यति अनिवार्य है।
विदुषी सवैया में 4 यति सहित कुल 8 चरण होंगे।
सम चरणों के तुकांत समान्त होंगे।
वाचिक रूप भी मान्य होगा। 
मापनी ~ 
रगण रगण रगण रगण रगण रगण रगण गुरु
212 212 212 2,12 212 212 212 2

१-लालसाएं
लालसाएं बढ़ी आज कैसी,कहाँ प्रेम की धार खोती चली है।
भावनाएं रखी हैं किनारे,बिना तेल बाती कहाँ से जली है।
द्वेष के बीज रोपे सभी ने,सदा बेल देती विषैली फली है।
कालिमा आज डेरा जमाएं,वही आज कैसी सभी ने मली है।
२ज्ञान का दीप
ज्ञान का दीप ऐसा जलाना,अँधेरा मिटा के करे जो उजाला।
साँच की लौ बढ़े रोज ऊँची,जले मैल सारे मिटा काम काला।
गूँथलों प्रेम के फूल सच्चे, लिए प्रीत धागे बना आज माला।
भीत कैसी पड़ी आज सूनी,सजा आज खाली पड़े भाव आला।


अनुराधा चौहान'सुधी'
चित्र गूगल से साभार

2 comments:

  1. बहुत सुंदर भावपूर्ण। ज्योति प्रज्वलित करती सुंदर रचना।

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