रिश्तों का बंधन है न्यारा।
जीवन लगता सुंदर प्यारा।
इस बंधन से जो घबराए।
उसके मन को चैन न आए॥
प्रीत बढ़ाकर गले लगाओ।
सबको अपने साथ मिलाओ।
आना जाना खोना पाना।
जीवन का यह रोग पुराना॥
अपनों से अब यूँ मत झगड़ों।
सदा प्रेम के बंधन जकड़ो।
रिश्ते मन से नहीं भुलाना
जीवन का अनमोल खजाना ॥
बीज द्वेष के कभी न बोना।
पड़ता है जीवन में रोना।
रीत सदा ही उत्तम रखना।
प्रेम भरा मीठा फल चखना॥
सच्ची बातें जिसने मानी।
उसकी होती अमर कहानी।
कण्टक कोई पुष्प न खिलता।
तन मिट्टी का मिट्टी मिलता॥
*अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित*
अहा, कितनी सुसंगत बातें। सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteबेहतरीन
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