करते हैं वंदन सभी,रखो शीश पर हाथ।
माँ वीणा वरदायनी,रहो हमारे साथ।
घोर अँधेरा बैर का,डरती मन में प्रीति।
आकर उजियारा करो,बदले जग की रीति
जीवन में बजते रहें,मन वीणा के तार।
देना वर माँ शारदे,मिट जाए तम भार।
विद्या का वरदान दो,बढ़े ज्ञान दिन रात।
कंटक पथ के दूर हों,कृपा करो है मात।
शुभदा भामा भारती,माता के स्वरूप।
विश्वा विमला सावित्री,पद्माक्षी शुभ रूप।
©®अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित
चित्र गूगल से साभार
मां सरस्वती की सुंदर वंदना । बहुत सुंदर दोहे ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार जिज्ञासा जी।
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