गौरा जी से ब्याह रचाने
आज चले हैं शिव भोला।
भूत प्रेत सब बने बराती
गले सर्प विषधर डोला।
सजा भस्म आसन पर बैठे
शंकर शंभू कैलाशी।
तीन लोक के पालनहारी
अजर अमर अविनाशी।
गंग शीश पर सदा विराजे
तन पर मृगछाला चोला।
गौरा जी से ब्याह....
शिवा शक्ति के महामिलन की
मंगल बेला फिर आई।
बंजर भू पर पुष्प खिले तब
ऋतु बहके ले तरुणाई।
पुरवा गाए गीत सुहाने
डमड डमड डमरू बोला।
गौरा जी से ब्याह....
महक उठी हैं दसों दिशाएं
देव सभी हैं हर्षाते।
शिव गौरा की अद्भुत छवि पर
पुष्प हर्ष के बरसाते।
नंदी भृंगी नृत्य करत हैं
घोंट भाँग का फिर गोला।
गौरा जी से ब्याह...
अनुराधा चौहान'सुधी'स्वरचित
चित्र गूगल से साभार
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 02 मार्च 2022 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हार्दिक आभार आदरणीय।
ReplyDeleteशिवा शक्ति के महामिलन की
ReplyDeleteमंगल बेला फिर आई।
बंजर भू पर पुष्प खिले तब
ऋतु बहके ले तरुणाई।
–सुन्दर रचना
शुभकामनाएँ
हार्दिक आभार आदरणीया दी।
Deleteबहुत सुन्दर ! शिव-गौरी विवाह का अत्यंत सजीव और रोचक चित्रण !
ReplyDeleteनज़ीर अकबराबादी की नज़्म - 'महादेव का ब्याह' का स्मरण हो आया.
हार्दिक आभार आदरणीय।
Deleteबहुत सुंदर सृजन सखी! पार्वतीजी और शिव जी के विवाह पर सरस सृजन।
ReplyDeleteसस्नेह।
हार्दिक आभार सखी
Deleteशिवरात्रि पर सुंदर रचना!
ReplyDeleteहार्दिक आभार अनीता जी।
Deleteमहाशिरात्रि पर शिवजी के ब्याह की सुंदर मनोहारी छवियां प्रस्तुत करती रचना । बहुत शुभकामनाएं आपको 💐👏
ReplyDeleteहार्दिक आभार जिज्ञासा जी।
Deleteसुन्दर सृजन
ReplyDeleteहार्दिक आभार आदरणीय
Deleteबहुत खूबसूरत प्रस्तुति, जय गौरीशंकर
ReplyDeleteहार्दिक आभार भारती जी।
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