Wednesday, June 30, 2021
अरविंद सवैया
Tuesday, June 29, 2021
अरसात सवैया
अरसात सवैया 24 वर्णों का छन्द 7 भगणों और रगण के योग से बनता है। देव और दास ने इस छन्द का प्रयोग किया है।
211 211 211 211, 211 211 211 212
*1.. तारणहार*
घेर रही विपदा जब मानव,नाथ दयालु खड़े तब साथ है।
काट रहे सब बंधन संकट,दीन दुखी झुकते सिर माथ है॥
कंठ हलाहल पीकर शंकर,तारणहार बने जग नाथ है।
झूम उठे फिर लोक सभी तब,शीश सदाशिव का फिर हाथ है॥
*2..शिव शंकर*
हे शिव शंकर देव महाशिव,हे शुभकारक मंगल कीजिए।
शंकर से भयभीत सभी दुख,संकट दूर हटे वर दीजिए॥
सावन पावन मास सुहावन,वंदन ये करती सुन लीजिए।
रोग बढ़ा अब जीवन ऊपर,आकर ये विष शंकर पीजिए॥
*१-जीवन*
जीवन सुंदर सागर सा मन,रंगत संगत मानव हो भली।
घोर निशा अरु संकट से फिर भाग नहीं डर निंदक की गली।
पावन संगत में बदले जग,सौरभ चंदन सी तन मे मली।
कुंठित सा मन वंचित हो सुख,सोच बुरी हर पाँव तले डली।
*२-मन*
साधक सा मन कोमल पावन,दीप जले सच के चँहु ओर ही।
सूचक व्यापक हो मनमोहक,देख खिले सुख लेकर भोर ही।
आस भरी बदली बरसे घिर,नाच करें मन के तब मोर ही।
भाग रहा सच से जब भी मन,अंतस बँधन का सुन शोर ही।
अनुराधा चौहान'सुधी'
चित्र गूगल से साभार
Sunday, June 27, 2021
वाम सवैया
Saturday, June 26, 2021
मुक्तहरा सवैया
Friday, June 25, 2021
गंगोदक सवैया
किरीट सवैया
Wednesday, June 23, 2021
दुर्मिल सवैया
Tuesday, June 22, 2021
चन्द्रमणि छंद-१
मत्तगयन्द सवैया
Monday, June 21, 2021
गुरुदेव को समर्पित
सुमुखि सवैया
Sunday, June 20, 2021
मदिरा सवैया
सुंदरी सवैया
Saturday, June 19, 2021
महाभुजंगप्रयात सवैया
Friday, June 18, 2021
वचन
Wednesday, June 2, 2021
जटायु रावण युद्ध
Tuesday, June 1, 2021
भगवान परशुराम
श्रेष्ठ प्राकृतिक बिम्ब यह (दोहे)
1-अग्नि अग्नि जलाए पेट की,करे मनुज तब कर्म। अंत भस्म हो अग्नि में,मिट जाता तन चर्म॥ 2-जल बिन जल के जीवन नहीं,नर तड़पे यूँ मीन। जल उपयोगी मान...
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1-अग्नि अग्नि जलाए पेट की,करे मनुज तब कर्म। अंत भस्म हो अग्नि में,मिट जाता तन चर्म॥ 2-जल बिन जल के जीवन नहीं,नर तड़पे यूँ मीन। जल उपयोगी मान...
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चल हट जा ना झूठे सुन तेरी बातें हम तुझसे ही रूठे यह झूठ बहाना है कर प्यारी बातें अब घर भी जाना है क्या बोलूँ मैं छलिए ...
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जीवन संकट में पड़ा,भाग रहे हैं लोग। सारा जग बेहाल हैं,बड़ा विकट ये रोग। रोजी-रोटी छिन गई,चलते पैदल गाँव। मिला न कोई आसरा,बैठे ...